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सिन्ध प्रान्त भारत में नहीं पर मातृ भाषा सिन्धी आत्मा में है – निरंजन शर्मा, सिन्धी भाषा मान्यता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

अजमेर (भारत भूमि)— स्वतंत्रता मिलने पर अखण्ड भारत से सिन्ध प्रान्त अलग हो गया और समाज बन्धु देश के अलग अलग हिस्से में बस गये। सिन्ध प्रान्त भारत में नहीं होने पर भी मातृ भाषा सिन्धी हमारी आत्मा है और भारत सरकार ने भी प्राथमिक अध्ययन मातृभाषा में करवाने के लिये नई शिक्षा नीति लागू की है। ऐसे विचार भारतीय सिन्धू सभा की ओर से सिन्धी भाषा मान्यता दिवस पर स्वामी सर्वानन्द विद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता निरंजन शर्मा ने प्रकट किये।

शर्मा ने कहा कि हमारी पहचान पांच भ से होती है जिसमें भाषा, भूषा, भवन, भोजन व भ्रमण है जो हमें भाषा के साथ सभ्यता से जोड़ता है। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ परन्तु सिन्ध प्रदेश से अलग हुये समाज की मातृभाषा सिन्धी को नहीं जोड़ा गया और मान्यता के लिए लगातार संघर्ष करते हुये 10 अप्रेल 1967 को संविधान की आठवीं अनुसूची में जुड़ने की सफलता प्राप्त हुई।

प्रदेष भाषा एवं साहित्य मंत्री डॉ. प्रदीप गेहाणी ने कहा कि सरकार भाषा का विस्तार व बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत् है। राज्यों में भाषा के लिये अकादमियों का गठन व केन्द्र स्तर पर राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद का गठन किया गया है और भारतीय सिन्धू सभा की ओर से बाल संस्कार शिविरों के अलावा अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से बच्चों को मातृभाषा सेे जोड़ने व ज्ञान बढ़ाने की सेवा समाज से मिलकर हो रही है। आज आवश्यकता है सिन्धू विकास बोर्ड की स्थापना की जाये।

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के सहायक कमाण्डेंड मनोज भम्भाणी ने कहा कि मेरे लिये गर्व की बात है कि कल 9 अप्रेल को शौर्य दिवस व आज मातृभाषा मान्यता दिवस है। विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के लिये मैं सहयोग देने व बाल संस्कार शिविरों में भी राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा के लिये प्रशिक्षण देने के लिये तत्पर हूं।

सुधार सभा के संरक्षक ईश्वर ठाराणी ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत सरकार ने राज्य नहीं होने पर भी सिन्धी भाषा की दो लिपियों में मान्यता दी है और हम विद्यालयों में बच्चों को निरंतर भाषा व संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। सिन्ध व हिन्द के साहित्यकार व शिक्षाविद् भाषा के माध्यम से आपसी जुड़ाव की बात कर रहे हैं और सिन्ध मिलकर अवश्य अखण्ड भारत बनेगा।

अप्रवासी भारतीय एच.आर. आसवाणी ने कहा कि मैं दुनिया के हर देश में व्यापार के कार्य हेतु जाता रहता है मगर प्रसन्नता है कि हमारी युवा पीढ़ी भी सिन्धी भाषा का ज्ञान रखती है और सोशल मीडिया के माध्यम से सिन्धु संस्कृति से भी जुडी हुई है। पूजा पद्धति भले ही अलग अलग पंथ की है परन्तु हम मातृभाषा से जुडे़ हुये सनातनी है।

मंत्री महेश टेकचंदाणी ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ आराध्यदेव झूलेलाल, भारत माता व सिन्ध के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। स्वागत भाषण जिला मंत्री रमेश वलीरामाणी व आभार अध्यक्ष नरेन्द्र बसराणी ने प्रकट किया। सत्र का संचालन संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी व रूकमणी वतवाणी ने किया। विद्यालय के विद्यार्थियों ने सिन्धी भाषा गीत व प्रार्थना की। सामूहिक राष्ट्रगान से समापन हुआ।

कार्यक्रम राष्ट्रमें सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, प्रदेश मंत्री मनीष गुवालाणी, नरेन्द्र सोनी, भगवान पुरसवाणी, गुल छताणी, रमेश लखाणी, खूबचन्द, किशन केवलाणी, झूलेलाल मन्दिर वैशाली नगर के अध्यक्ष प्रकाश जेठरा, इच्छापूर्ण झूलेलाल मन्दिर के अध्यक्ष राम बालवाणी, सिन्धू समिति के उपाध्यक्ष अजीत पमनाणी, पूर्व पार्षद खेमचन्द नारवाणी, आदर्श सिन्धी पंचायत के महासचिव लाल नाथाणी, पुरूषोतम तेजवाणी, सुनीता भागचंदाणी, सुमन भम्भाणी, हरी केवलाणी व विद्यालय की प्रियंका पंजवाणी, सीमा रामचंदाणी, भारती शिवदासाणी, भारती टेकेचंदाणी, मुकेश शर्मा सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इनका हुआ सम्मान

सिन्धी भाषा व संस्कृति को बढावा देने पर श्रीमति राधादेवी चंदाणी, जेठी चौथवाणी व चन्द्रा देवी का सम्मान किया गया। साथ ही राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली की ओर से 2023 में सिन्धी सर्टीफिकेट, डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा परीक्षा में सफल हुये विद्यार्थियों को सर्टीफिकेट भी वितरित किये गये।

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